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Sunday, 4 September 2022

Does the soft power art industry in India need investors today so that the art and artist can grow?

Soft power Art Industry in India need invester to grow in a bigger way.There is a population of about 130 million in India. Business, industry is growing.Big market are available.The number of new rich people is seeing an increase.People want to live in a aesthetically well designed homes with beautiful art works around.They want to live in a good homes.

The art industry has infinite potential to grow.New finencialy sound generation  wants to invest in to buy art works.
There are many art galleries in India which are doing a good job of art promotion. Artists are getting benefits.
It is also true that some art galleries are closed due to financial constraints. There are good, knowledgeable people but lack of money compels them.
There has to be some way out of this problem like people do for all industries. Large population and new talent coming day by day is reducing the opportunity. New spaces have to be developed. Art writing should be done. It has to be connected with the meaning so that art and artists can be connected to the public.The common man of the country with such a large population is keeping distance from contemporary modern art. Who will work for it?Press, media & art writer.

It is our endeavor to make the art industry more professional.Modern art studios for artists and facilities to create, store and maintain artworks are to be developed.It will be our endeavor to provide art gallery to the artists of small cities and places.

Artists whom people do not know but are good,they should get a chance.Their creations should reach the people,art market.Art has to be connected in the right way with business.

We need investor to grow art Industry in India.
Enclosers-
1.Self Pic 
2.Pic posted with the artical all paintings are created by me.
Anil Kumar Sinha
Veteran Artist,
Social Service.

Tuesday, 11 January 2022

1974 जयप्रकाश नारायण "सम्पूर्ण क्रान्ति" आंदोलन नुक्कड़ चित्र प्रदर्शनी,नुक्कड़ नाटक,नुक्कड़ कवि गोष्ठी।

1974 जयप्रकाश नारायण "सम्पूर्ण क्रांति" आंदोलन में मैंने नुक्कड़ चित्र प्रदर्शनी का आयोजन प्रमोद कुमार,बिनोद कुमार सिंह के सहयोग से किया था।पहले दिन प्रदर्शनी लखनऊ स्वीट हाउस कार्नर,डाकबगला,पटना में लगी थी।
उन दिनों कॉफ्फी हाउस,पटना में मैं रोज शाम को बैठता था।जयप्रकाश नारायण आंदोलन जोरों पर था।सभी साथी आंदोलन की योजना बनाते थे क्या करना है?हमारा सहयोग आंदोलन में क्या हो?मैंने प्लान किया हमें अपने चित्रों के माध्यम से कुछ करना है।प्रमोद मेरे घर आते रहते थे।मैंने अपनी योजना प्रमोद,बिनोद सिंह से बताई कि हमें नुक्कड़ पर आंदोलन के समर्थन में चित्र बनाकर प्रदर्शन करना है।दोनों राज़ी हो गए।हमने पैसे जुटाये और पेपर,हार्डबोर्ड,कलर तथा चित्र को डिसप्ले करने का सामान खरीद।सारे चित्र हम तीनों ने मिलकर अपने 36,किदवईपुरी,पटना घर पर बनाया।मैं अकेला ही रहता था।बाबूजी का पदस्थापन पटना से बाहर था।

आंदोलन के बीच मेरा सवाल था "वर्तमान परिस्थिति में हम कहाँ?"

नुक्कड़ चित्र प्रदशनी में पहले दिन अनिल कुमार सिन्हा,
प्रमोद कुमार,बिनोद कुमार सिंह तीन कलाकारों के लगभग 25 चित्र मैंने लगाया था।
इसकी जानकारी पहले से किसी को नहीं थी।
लोगों को दूसरे दिन से अख़बारों के माध्यम से जानकारी मिलने लगी।कलाकार तथा आम लोग जुड़ने लगे।आंदोलन मज़बूत हुआ।

 सूचना तेज़ी से शहर में फैल गई।कुछ ही घंटों में फणीश्वर नाथ रेनू,बाबा नागार्जुन,बाबू लाल मधुकर,सत्यनारायण,परेश सिन्हा,रविंद्र राजहंस,गोपी बल्लभ सहाय,रॉबिन शॉ पुष्प,सूर्य नारायण चौधरी,जुगनू शारदे,रामबचन राय,सतीश आनंद,सुमन कुमार,जीतेन्द्र सिंह,स्टेट्समैन,कलकत्ता के फोटो ग्राफर,तथा भाई सत्यनारायण दूसरे,अख्तर हुसैन,उमेश कुमार तथा अन्य लोग पहुँच गए।कफ़ी भीड़  जुट गई।
माहौल देख कवियों में भी जोश आ गया।
कवि गोष्ठी शुरू हो गया।
दूसरे दिन स्टेट्समैन,कलकत्ता के अखबार के फ्रंट पेज पर चित्र छपे।यह चित्र गया गोली काण्ड पर बने थे।
खूब चर्चा हुई।

यह सिलसिला चल पड़ा।धीरे धीरे लोग रोज नए नुक्कड़ पर  चित्र प्रदर्शनी के सामने जुटने लगे।कलाकार भी पेंटिंग भेजने लगे।प्रदर्शनी बड़ी होती गयी।

सतीश आनंद के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक होने लगे जिसमे मैं अनिल कुमार सिन्हा,Umashankar Prasad अभिनय करने लगे।बसंत कुमार ने नया नाटक लिखा था। 
मेरे लिए समस्या थी पेंटिंग प्रदर्शनी और नुक्कड़ नाटक दोनों कैसे एक साथ करूँ।अरुण मिश्रा मेरे मोहल्ले में रहता था और कॉफ्फी हाउस में भी मिलता रहता था।
मैंने पेंटिंग्स अरुण मिश्रा के जिम्मे लगा दिया।वह पटना से बाहर बिहार के छोटे शहरों में नुक्कड़ प्रदर्शनी करने लगा।सूचना मिली बाद में पुलिस/प्रशासन ने सारी पेंटिंग्स को जब्त कर लिया।

मैं नुक्कड़ नाटक करने लगा।
पुलिस ने धमकाया।
मेरी उम्र उस समय मात्र 22 साल थी।
मुझे अंडर ग्राउंड होना पड़ा।

देश तथा विदेशों की पत्र पत्रिकाओं में रोज लेख फोटे छपने लगे।चित्रों ने जन आंदोलन को नया आयाम दिया।
पुरानी प्रेस कटिंग्स आदरणीय स्व.कलाधर जी के पास संग्रहा में थी।पता नहीं अब मिल पाएगी या नहीं?

स्व.सत्य नारायण दूसरे जयप्रकाश नारायण आंदोलन के हर मोमेंट को अपने कैमरे में कैद किया था जिसे उन्हों ने अपनी पुस्तस्क में प्रकाशित किया है।अद्भुत दस्तावेज़ है यह पुस्तक।
मैं उस दौर के कुछ और पुराने दस्तावेज़ जुटा रहा हूँ।
सूचना-विस्तार से,अलग से,अपनी पुस्तक में चर्चा करूँगा।
सभी चित्र-स्व.सत्यनारायण दूसरे आंदोलन के साथी  छायाकार के सौजन्य से प्राप्त।
●लेखक-अनिल कुमार सिन्हा 
1974 आंदोलन का अग्रणी सिपाही,कार्यकर्ता।
1974 नुक्कड़ चित्र प्रदर्शनी की परिकल्पना।
आयोजनकर्ता नुक्कड़ चित्र प्रदर्शनी,नाटक,कवी गोष्ठी।

वर्तमान में प्रख्यात चित्रकार,लेखक,चिंतक।
2022.


Monday, 3 January 2022

वर्ष 1980 ग्रुप "अब" बिहार समसामयिक कला आंदोलन का सूत्रधार,कलाकारों का समूह।

ग्रुप 'अब" पटना आर्ट कॉलेज के पूर्व छात्रों का समूह था जिसने 1980-81 में बिहार के क्रिएटिव कलाकरों को भारतीय समकालीन कला से जुड़ने को प्रेरित किया।संगठित होकर अपने बलबूते पर भागीरथी प्रयास किया।सीमित साधन में साहस कर राज्य में तथा राज्य से बाहर कला प्रदर्शनी करना शुरू किया। 
मैं 1969 में आर्ट कॉलेज ज्वाइन किया था।पांण्डेय सुरेन्द्र,प्राचार्य जो शांति निकेतन तथा क्लेवलैंड,अमेरिका,बटेश्वर नाथ श्रीवास्तव,लखनऊ तथा इटली तथा बिरेश्वर भट्टाचार्जी,पटना तथा इस्ताम्बुल,तुर्की विदेश से कला शिक्षा प्राप्त कर आर्ट कॉलेज में अपना योगदान टीचर के रूप में दिया था।यह सभी ऊर्जा से भरपूर थे।क्रिएटिव आर्ट  में कुछ करना चाहते थे।एक कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते थे।पटना आर्ट कॉलेज से निकलने के बाद रोजगार प्राप्त हो जाए पहले यही सोंच, समझ थी।आगे चलकर क्रिएटिव आर्ट कर भी जिया जा सकता है यह समझ हुयी।मुश्किल तो था पर एक कलाकार की पहचान उसके काम से हो यह तो सभी चाहते हैं।एक कोशिश की गयी।प्रयास हुए।सफल भी हुए।
उस जमाने में पुराने कला संगठन जो थे पर बन्द पड़े थे।कोई कला संगठन सक्रीय नहीं था।अनिश्चितता थी।राज्य में छोटी बड़ी गतिविधियां वर्षों से होती रहीं है।
समाज किसी एक के प्रयास से विकसित नहीं होता।
सबों का सहयोग होता है।
वर्तमान माहौल में क्या किया जाए चाय की दुकान,नुक्कड़ों पर घंटो रोज हम सभी विमर्श करते थे?पाण्डेय सुरेन्द्र,प्राचार्य के घर पर 2,ईस्ट गार्डिनर रोड, पटना में रोज हम सभी उनसे मिलते थे।
कला पर चर्चा होती थी।
1970-71 में एम. एफ. हुसैन साहब पटना आर्ट कॉलेज में अपने चित्रों तथा शार्ट फिल्म का प्रदर्शन किया था जिसने हमें समकालीन कला आंदोलन से जुड़ने को प्रेरित किया।
1974 में जयप्रकाश नारायण सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में मैंने नुक्कड़ चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया था।इस प्रदर्शनी के आयोजन में प्रमोद कुमार,बिनोद कुमार सिंह ने मेरा साथ दिया था।पहले दिन लखनऊ स्वीट हाउस कार्नर,पटना में अनिल कुमार सिन्हा,प्रमोद कुमार,बिनोद कुमार सिंह के बनाये चित्र प्रदर्शित किए गए थे।
सभी मित्रों की बेचैनी थी की कैसे राष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को प्रोजेक्ट किया जाए?रास्ता ढूंढ रहे थे।
पटना आर्ट सोसाइटी,शिल्पी संघ तथा शिल्प कला परिषद् बिहार की पुरानी कला संस्थायें थी जो बंद 
पड़ी थी।युवा कलाकार कोई मंच चाहते थे।
बिजय चन्द प्रसाद,अशोक तिवारी ने बिरला अकादेमी,कोलकाता में ग्रुप "अब" के नाम से आर्ट शो किया।सबों को नाम पसंद आया।ग्रुप "अब"बना।साझा नेतृत्व था।सफल रहा।
बाद में कई नए संगठन,समूह बने।यह सिलसिला चल पड़ा।
1970 से 1980 का काल खंड बिहार समकालीन कला जगत के लिए बड़े बदलाव के लिए याद किया जाएगा।
टीचर्स,छात्र साथ साथ सृजन में लगे थे।संघर्ष कर रहे थे।
ललित कला अकादेमी,नई दिल्ली की राष्ट्रीय प्रदर्शनी में हमारी उपस्थिति नहीं थी।कलाकारों की जिज्ञासा,कुछ नया करने की ललक,अपनी पहचान की तलाश ने हमें उत्प्रेरित किया।गज़ब की ऊर्जा थी सबों में।ग्रुप "अब" की बड़ी प्रदर्शनी 1981 में सिन्हा लाइब्रेरी,पटना के परिसर में लगी थी।प्रदर्शनी का उदघाटन तत्कालीन उप शिक्षा मंत्री कुमुद रंजन झा ने किया था।कार्यक्रम की अध्यतता प्रो.डॉ कुमार विमल प्रसिद्ध साहित्यकार तथा बाद में बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष बने थे ने किया  था।
शिल्प कला परिषद् के बैनर से भी एक शो किया गया था जिसमें लगभग सभी कलाकार ग्रुप "अब" के ही थे ताकि संस्था सक्रीय हो सके।
उस समय के प्रेस के कुछ कतरन संलग्न है।

बिहार के कलाकारों ने अपनी पहचान बनाई।
अनिल कुमार सिन्हा,बिजय चंद प्रसाद,अशोक तिवारी,सिकंदर हुसैन,शैलेंद्र कुमार,अजय चौधरी,संजीव सिन्हा,शांभवी,पी.राजीवनयन,राजेंद्र गुप्ता,नीलम सिन्हा,आभा सिन्हा,अनिल सिन्हा-अहमदाबाद,राजन गुप्ता,अजीत दुबे, प्रमोद कुमार,मो.इलियास की भूमिका मत्वपूर्ण रही।सबों ने अपना पैसा,श्रम,ज्ञान लगाया।एक रास्ता बनाया।सभी कलाकार भाई समकालीन कला को देश,दुनियाँ से जोड़ने में सहायक रहे।
कलाकार राज्य से बाहर भारी संख्या में निकलने लगे।
देश,विश्व समकालीन कला से जुड़े।यह सिलसिला बना रहे।हमारे सभी साथी आज भी संघर्षरत हैं।
कुछ नया करने का उत्साह,जुनून जारी है।
आज के युवा कलाकार हमारे सपने को पूरा कर रहे हैं।यह देख कर गर्व होता है।खुशी होती है।
बिहार के सभी कलाकारों,कला प्रेमियों को हार्दिक बधाई।

*अनिल कुमार सिन्हा
ग्रुप "अब" का साथी।
वरीष्ठ कलाकार।
03 जनवरी 2022.