1974 जयप्रकाश नारायण "सम्पूर्ण क्रांति" आंदोलन में मैंने नुक्कड़ चित्र प्रदर्शनी का आयोजन प्रमोद कुमार,बिनोद कुमार सिंह के सहयोग से किया था।पहले दिन प्रदर्शनी लखनऊ स्वीट हाउस कार्नर,डाकबगला,पटना में लगी थी।
उन दिनों कॉफ्फी हाउस,पटना में मैं रोज शाम को बैठता था।जयप्रकाश नारायण आंदोलन जोरों पर था।सभी साथी आंदोलन की योजना बनाते थे क्या करना है?हमारा सहयोग आंदोलन में क्या हो?मैंने प्लान किया हमें अपने चित्रों के माध्यम से कुछ करना है।प्रमोद मेरे घर आते रहते थे।मैंने अपनी योजना प्रमोद,बिनोद सिंह से बताई कि हमें नुक्कड़ पर आंदोलन के समर्थन में चित्र बनाकर प्रदर्शन करना है।दोनों राज़ी हो गए।हमने पैसे जुटाये और पेपर,हार्डबोर्ड,कलर तथा चित्र को डिसप्ले करने का सामान खरीद।सारे चित्र हम तीनों ने मिलकर अपने 36,किदवईपुरी,पटना घर पर बनाया।मैं अकेला ही रहता था।बाबूजी का पदस्थापन पटना से बाहर था।
आंदोलन के बीच मेरा सवाल था "वर्तमान परिस्थिति में हम कहाँ?"
नुक्कड़ चित्र प्रदशनी में पहले दिन अनिल कुमार सिन्हा,
प्रमोद कुमार,बिनोद कुमार सिंह तीन कलाकारों के लगभग 25 चित्र मैंने लगाया था।
इसकी जानकारी पहले से किसी को नहीं थी।
लोगों को दूसरे दिन से अख़बारों के माध्यम से जानकारी मिलने लगी।कलाकार तथा आम लोग जुड़ने लगे।आंदोलन मज़बूत हुआ।
सूचना तेज़ी से शहर में फैल गई।कुछ ही घंटों में फणीश्वर नाथ रेनू,बाबा नागार्जुन,बाबू लाल मधुकर,सत्यनारायण,परेश सिन्हा,रविंद्र राजहंस,गोपी बल्लभ सहाय,रॉबिन शॉ पुष्प,सूर्य नारायण चौधरी,जुगनू शारदे,रामबचन राय,सतीश आनंद,सुमन कुमार,जीतेन्द्र सिंह,स्टेट्समैन,कलकत्ता के फोटो ग्राफर,तथा भाई सत्यनारायण दूसरे,अख्तर हुसैन,उमेश कुमार तथा अन्य लोग पहुँच गए।कफ़ी भीड़ जुट गई।
माहौल देख कवियों में भी जोश आ गया।
कवि गोष्ठी शुरू हो गया।
दूसरे दिन स्टेट्समैन,कलकत्ता के अखबार के फ्रंट पेज पर चित्र छपे।यह चित्र गया गोली काण्ड पर बने थे।
खूब चर्चा हुई।
यह सिलसिला चल पड़ा।धीरे धीरे लोग रोज नए नुक्कड़ पर चित्र प्रदर्शनी के सामने जुटने लगे।कलाकार भी पेंटिंग भेजने लगे।प्रदर्शनी बड़ी होती गयी।
सतीश आनंद के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक होने लगे जिसमे मैं अनिल कुमार सिन्हा,Umashankar Prasad अभिनय करने लगे।बसंत कुमार ने नया नाटक लिखा था।
मेरे लिए समस्या थी पेंटिंग प्रदर्शनी और नुक्कड़ नाटक दोनों कैसे एक साथ करूँ।अरुण मिश्रा मेरे मोहल्ले में रहता था और कॉफ्फी हाउस में भी मिलता रहता था।
मैंने पेंटिंग्स अरुण मिश्रा के जिम्मे लगा दिया।वह पटना से बाहर बिहार के छोटे शहरों में नुक्कड़ प्रदर्शनी करने लगा।सूचना मिली बाद में पुलिस/प्रशासन ने सारी पेंटिंग्स को जब्त कर लिया।
मैं नुक्कड़ नाटक करने लगा।
पुलिस ने धमकाया।
मेरी उम्र उस समय मात्र 22 साल थी।
मुझे अंडर ग्राउंड होना पड़ा।
देश तथा विदेशों की पत्र पत्रिकाओं में रोज लेख फोटे छपने लगे।चित्रों ने जन आंदोलन को नया आयाम दिया।
पुरानी प्रेस कटिंग्स आदरणीय स्व.कलाधर जी के पास संग्रहा में थी।पता नहीं अब मिल पाएगी या नहीं?
स्व.सत्य नारायण दूसरे जयप्रकाश नारायण आंदोलन के हर मोमेंट को अपने कैमरे में कैद किया था जिसे उन्हों ने अपनी पुस्तस्क में प्रकाशित किया है।अद्भुत दस्तावेज़ है यह पुस्तक।
मैं उस दौर के कुछ और पुराने दस्तावेज़ जुटा रहा हूँ।
सूचना-विस्तार से,अलग से,अपनी पुस्तक में चर्चा करूँगा।
सभी चित्र-स्व.सत्यनारायण दूसरे आंदोलन के साथी छायाकार के सौजन्य से प्राप्त।
●लेखक-अनिल कुमार सिन्हा
1974 आंदोलन का अग्रणी सिपाही,कार्यकर्ता।
1974 नुक्कड़ चित्र प्रदर्शनी की परिकल्पना।
आयोजनकर्ता नुक्कड़ चित्र प्रदर्शनी,नाटक,कवी गोष्ठी।
वर्तमान में प्रख्यात चित्रकार,लेखक,चिंतक।
2022.
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