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Tuesday, 7 July 2020

लक्ष्य पाल सिंह राठौर Laxya Pal Singh Rathore अजमेर,राजस्थान की संस्कृति,समाज,लोक संस्कार को कैनवास पर उकेरते हैं।

            लक्ष्य पाल सिंह राठौर Laxya Pal Singh Rathore का जन्म स् न 1964 में अजमेर,राजस्थान में हुआ है।
इन्होंने कला महाविद्यालय,लखनऊ से स् न 1990 में आर्ट मास्टर डिप्लोमा की पढाई पूरी की है।स् न 1991-92 में डी ए भी कॉलेज अजमेर से मास्टर इन अर्ट्स किया है।इनके गुरु इनके पिता स्व.नरेंद्र पाल सिंह राठौर रहे हैं जो राजस्थान के जाने माने कलाकार थे।
राजस्थान ललित कला अकादेमी तथा आईफेक्स,नई दिल्ली द्वारा आयोजित राज्य,राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में इन्हें पुरष्कृत किया जा चुका है।इनकी एकल,समूह प्रदर्शनी देश विदेश में लगती रहती हैं।राठौर द्वारा सृजित कृतियां हिंदुस्तान के अलावा जर्मनी,स्विटरजलैंड,अमेरिका,इंग्लैंड,जापान की आर्ट गैलरी, निजी संग्रह में है।
      1990 से आजतक राठौर नियमित कला सृजन में लगे रहते हैं।अजमेर,राजस्थान की संस्कृति,समाज,लोक संस्कार,जन जीवन,रेत के टीलों पर जीने वाले मानव,समाज के यथार्थ को कैनवास पर उकेरते हैं।राजस्थन के गौरव,प्रेम,नायक नायिका की नोकझोंक,गवई परिवेश की सादगी,सच्चापन,मिट्टी की खुशबू को तस्बीरों में उकेरते हैं।बचपन से अपने परिवेश को देखा,परखा,समझा है।रेतों की ढेर पर जीने वाले समाज के दर्द को देखा है।गर्मी,ठंढ,तूफान,पानी की किल्लत फिर भी लोग खुश रहते हैं।प्रेम भाव से जीते हैं।किसी से कोई गिलवा शिकायत नहीं।मस्ती में गीत, संगीत,साफा-पगड़ी औरतों के रंग विरंगें वस्त्र,घाघरे,चोली,चुन्नी,गहने से सज़ी महिलाएँ ख़ूबसूरत माहौल बनाती है।लंबी मूछों वाले मर्द तथा इनके वाद्यय यन्त्र एकतारा,डफली,खड़ताल,पिपाडी,सारंगी,ढोल बजाते लोग शाम को पशु चराकर जानवरों,पंछियों के साथ गीत संगीत गाते बजाते घर लौटते हैं।यह नज़ारा अद्भुत होता है जिसे राठौर ने बचपन से देखा है।कलाकार के चित्रों के विषय उसके आस पास के,पसंद की हों तो कलाकृतियाँ प्रभावशाली बनती हैं।इनके चित्रों में लंबी गर्दन वाले पुरुष,महिलाएं प्रमुखता से देखी जा सकती हैं।राजस्थान वीरों की भूमि हैं।मर्दों की मूछों की आन बान शान की बात ही कुछ और है।मूछों को बड़े ही करीने से सहेजते,सवारतें हैं मर्द।इनके चित्रों में बड़ी बड़ी मूछें वाले मर्द प्रमुखता से देखे जा सकते हैं।
         राजस्थान में पशु में ऊंट,पंछी में मोर,नायक,नाईका का प्रेम,नोक झोंक की झलक वहां के गीतों में सुनी जा सकती हैं।प्रेमिका अपने प्रेमी नायक कि याद करते इन्तज़ार में यह पारंपरिक गीत गाती हैं।सैलानियों को यह गीत आकर्षित करती है।मैं पूरा गीत पाठकों के लिए यहाँ लिख दे रहा हूँ ताकि राठौर के आकृति मूलक चित्रों का आनंद लिया जा सके।समझा जा सके।

केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देश जी।
पियाँ प्यारी रा ढोला,आवोनी पधारो म्हारो देश।।

आवण जावण कह गया तो कर गया मोल अनेर।
गिनतां गिनतां घिस गई ,म्हारे अंग लियारी रेख।।
केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देश जी।

साजन साजन मैं करूँ,तो साजन जीवजड़ी।
साजन फूल गुलाब रो,संधु घडी घडी।।
केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देश जी।

मारु धारा देश में,निपजे तीन रत्न।
इक ढोल इक मरवण तीजो कुसुम रंग।।
केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देश जी।

सुपन तू सोभागियो, उत्तम धरी जात।
सो कोसा साजन बसै,आन मिलै प्रभात।।
केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देश जी।
      
          राठौर के चित्रों के विषय क्वीन,घर की ओर,सुगरकेन सेलर,नाईका,नायक,राजा,साइलेंट टॉक,माई लाईफ,बुद्धीजीवी,क्रिएटिव पोर्ट्रेट,फर्स्ट मून जैसे होते हैं।
 माध्यम तैल रंग,जल रंग,वाश पेंटिंग,ऐक्रेलिक रंग तथा सैंड ऑन पेपर है।यह सभी माध्यमों में काम करते हैं।वाश पेंटिंग्स इन्हों ने काफी संख्या में बनायी हैं जिसमें इन्हें पुरस्कृत भी किया गया है।तैल रंगों में काफी काम किया है।ब्लैक एंड वाईट रेखांकन लगातार करते रहते हैं।राजस्थान में बालू की ढेर है जिसे इन्हों ने पेपर पर प्रयोग किया है।बालू से चित्र बनायें हैं जो नयी खोज है।माध्यम बालू के कारण पेपर,कैनवास पर कृतियों में बनता,खुरदुरापन टेक्सचर सतह पर अपना प्रभाव दर्शकों को डालती है।
      राठौर चित्रों में रंगों का प्रयोग सीमित करते हैं।चित्रों  में ऑरेंज,येलो,ग्रीन,ब्लू की प्रधानता रहती है।गहरे रगों के नीचें से झांकती,उभरती रेखाएंआकृतियाँ ख़ूबसूरत दिखती है।      
राजस्थान के कलाकार लक्ष्य पाल सिंह राठौड़ के चित्रों के भाव चाहे वह प्रेम रस,वीर रस,करूणा रस के हों बड़े ही सधे अंदाज़ में पेश किया है।अपनी मिट्टी की खुशबू को खूबसूरती से उकेरा है।इनकी सादगी,सच्चाई,  भोलापन,कर्मठता,प्रेंम,करुणा,दया चित्रों में दिखता है।

अनिल कुमार सिन्हा
चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।


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