डॉ.बन्दना सहगल ने शाक्या की कला को परखा।कला जगत में सहारा दिया।इनकी कला को तकनीकी जानकारियां दी जिसे आज भी यह चित्रों में उपयोग करते हैं।बन्दना सहगल के सहारा को शाक्या मानते हैं।बन्दना सहगल चर्चित वास्तुकार है।कई संस्थानों की यह निदेशक रहीं हैं इन्हों ने शाक्या के चित्रों में प्रिरिप्रेछ्य(Perspactive) तथा सममितीय(Isometric) इफ़ेक्टस को पहचाना जो जाने अंजाने तस्बीरों में उकेरते थे।इस कारण से इनके चित्रों की पत्तियाँ सभी एक साईज की होते हुए भी दूर से दर्शकों के सिर पर नहीं आती।इनके चित्रों की भुजा ऊँचाई,खड़ी रेखायें अद्भुत ढंग से लोपीबिंन्दू(Vanishing Point) पर आकर मिलती हैं।तस्बीरों में बहुआयाम क्रिएट करती हैं।
शाक्या के तस्बीरों में पत्तिओं की प्रमुखता होती है।छोटी,बड़ी पत्तियां बनाते है।गाँव के खेत में इन्हें बचपन में मटर के फूल पसंद आते थे।उसके रंग इन्हें भाती थीं।
शाक्या प्रकृति के चितेरे हैं। प्रकृति की आत्मा,आतंरिक सौंदर्य,सुबह,शाम दिन,रात में छाया, प्रकाश के कारण जो पत्तियों,पेड़,पहाड़ों,झरनों में परिवर्तन होते हैं,उन रंगों को तस्बीरों पर साधे हुए अनुपात में फैला देते हैं।कैनवास के फलक पर मखमली,सिल्की,स्मूथ सतह का अनुभव करती हैं।हल्के रंगों के साथ खेलते हुए कहीं गहरे रंग का पैच लोपिबिन्दु बनाती हैं।दर्शकों को तस्बीरों में गहराई,डेफ्थ जा भ्रम पैदा करती हैं।जिनके चित्रों में पेड़ पहाड़ों के बीच से धुंए,बादल सी आकृतियाँ महाकवि कालिदास के मेघदूत की याद दिलाती हैं।कलाकार शाक्या का मन जैसे अपनी नायिका को प्रेम सन्देश भेज रहे हों।
"जब तुम आकाश में उमड़ते हुए उठोगे तो
प्रवासी पथिकों की स्त्रियां मुह पर लटकते
हुए घुँघराले बालों को ऊपर फेंककर इस
आशा से तुम्हारी ओर टकटकी लगाएंगी
कि अब प्रियतम अवश्य आते होंगें।"
*कालिदास
रंगों के जादुगर हैं शाक्या।इनके चित्रों से श्रीकृष्ण के बांसुरी की धुन सुनाई देती हैं।श्रीकृष्ण-राधा उनकी सहेलियों के संग हंसी,ठिठोली के स्वर सुनाई देते हैं।रंगों की छठा चित्रों में मनोहारी होती है।मैं इनके तस्बीरों के रंगों को देखता रहता हूँ।यह कैनवास पर तैल रंगों में चित्र उकेरते हैं।इनके कलर पैलेट में हर रंग है।यह ब्लैक कलर में येलो मिलाकर भी काम कर लेते हैं जो इन्हें पसंद हैं।ग्रीन,ब्लू,येलो,ब्लैक,गोल्डन कलर्स के डिफरेंट सॉफ्ट टोन्स चित्रों में उकेरते हैं।जिनके हर चित्रों में रंगों का अद्भुत खेल दिखेगा।उन्मुक्त होकर यह रंगों का आनंद लेते हैं।इंद्रधनुषी रंगों की छटा शाक्या के तस्बीरों की खूबसूरती है जो दर्शन को अपने पास रोक लेती हैं।पकड़ कर बुला लेती हैं।तस्बीरों के रंग में दर्शक रंगबाज़ हो जाते हैं।रम जाते हैं।
शाक्या प्रेमी इंसान हैं।इनके चित्रों में सात स्वर,रंग,रस हैं।रंगों में मीरी राग,कुसुमभी में प्रमुख रूप से मीरी राग में प्रेम,मिलन राग को रचना इन्हें पसंद हैं। राम सेवक शाक्या Ram Sewak Shakya भारतीय आधुनिक समकालीन कला के पसंदीदा कलाकार है।देश ,दुनियाँ में इनके चित्रों के चाहने वाले बहुत हैं।यह नियमित कला साधना में लगे रहते हैं।शाक्या के चित्रों का आनंद लें।
*अनिल कुमार सिन्हा
चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।
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