विभिन्न प्रकृति के खूबसूरत रूप उकेरती हैं।इनके चित्रों में रेखाओं की प्रधानता रहती है।रंगों का सीमित प्रयोग यह करते हैं।तस्बीरों में इनकी विभिन्न रेखायें,आकार आपस में समा जाती हैं,घुलमिल जाति हैं जो मधुर संगीतमय स्वर लहरियाँ पैदा करती हैं।पहाड़ों की तेज़ हवाओं की शीतल झोंकों की तरह इनकी तस्बीरें दर्शकों के मन को शीतलता प्रदान करती हैं।आनंद का अनुभव कराती हैं।
राजीव प्रकृति प्रेमी हैं।उत्तराखंड के पृष्ठ्भूमि से आते हैं।दिल्ली एन सी आर फरीदाबाद में निवास करते हैं और इनका मन देवभूमि के शिव पार्वती,राधा कृष्ण,पशु पक्षी,पेड़,जंगल,पहाड़ों के इर्द गिर्द ही घूमता है।प्रकृति की छाओं की शीतलता,मनोरम दृश्यों को यह तस्बीरों में रचते,गढ़ते हैं।
राधा के प्रेम में कृष्ण की बांसुरी की धुन यह चित्रों में उकेरते हैं।शिव के डमरू की धुन,सुर,ताल पर इनकी रेखायें कैनवास पर नृत्य करती नज़र आती हैं।राजीव की रेखाएं चित्रों में प्रमुखता से दिखती हैं। रेखांकण चित्रों की मुख्य कुंजी है जो कृतियों को बांधती है।दर्शकों के मन को भटकने नहीं देतीं।अपने विषय पर केंद्रित होने को मजबूर करती हैं।राजीव की रेखाएं तस्बीरों की आकृतियों को ख़ूबसूरत बनाती हैं।
राजीव सेमवाल का जन्म दिनांक 17 जून 1979 को रुद्रप्रयाग,उत्तराखंड के पोला ग्राम में हुआ था।इनके पिता शिव प्रसाद सेमवाल सेना में थे तथा पोर्ट्रेट पेंटर थे।राजीव को कला की प्रेरणा पिता से मिली।यह मॉडर्न आर्ट गैलरी,नई दिल्ली में प्रत्येक रविवार को 1998-2014 तक कला सीखने जाया करते थे।वरिष्ठ कला गुरुजनों से मिलते थे।कला के हुनर समझते थे।
शंकर एकेडमी औफ फ़ाईन अर्ट्स,नई दिल्ली से इन्हों ने 2007-2009 तक दो वर्षों का कला में डिप्लोमा किया है।राजीव ने दिल्ली युनिवेर्सिटी से वर्ष 2004 में बी कॉम किया है।
वर्ष 2010 से यह समकालीन कला आंदोलन से जुडे।आज भी यह नियमित कला सृजान से जुड़े हैं।
राजीव को इंडियन अकादेमी ऑफ़ फाईन अर्ट्स,अमृतसर से वर्ष 2012 तथा आल इंडिया फ़ाईन अर्ट्स एंड क्राफ्ट सोसाइटी से वर्ष 2011 तथा2018 में पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।काफी कम समय में इन्होंने कला जगत में अपनी पहचान बनाई है।इनके ब्यौहार,मधुर स्वभाव इनकी कला में चार चांद लगा रहे हैं।संयम से कला साधना में यह लगे हैं।
राजीव सेमवाल के चित्रों को उसकी अपनी तकनीक,रंग भाषा,रूपाकारों के कारण दूर से पहचानी जाने लगीं है।कला से संगत करते राजीव सेमवाल की कला का भविष्य एक सम्मानजनक मुकाम पर इन्हें पहुंचा देगा ऐसा मेरा मानना है।
*अनिल कुमार सिन्हा
वरीष्ठ कलाकार,कला समीक्षक।
18.10.2020
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