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Tuesday, 30 June 2020

ए.के.डगलस AK Doglous यायावर देश के युवा चित्रकार हैं जो अब तक 28 देशों की यात्रा पूरी कर कला साधना में लगे हैं।

ए.के.डगलस AK Daglous मूलतः मुजफ्फरपुर,बिहार की मिट्टी 1979 में जन्में युवा कलाकार हैं।कॉलेज ऑफ़  अर्ट्स,चंडीगढ़ से 2005 में मास्टर ऑफ़ फाईन अर्ट्स की पढाई पूरी की है।कॉलेज से निकलने के बाद कलाकर्म करते हुए इन्होंने अबतक 28 देशों की यात्रायें पूरी कर ली हैं जो एक रिकॉर्ड है।बाबा नागार्जुन की तरह यह भी यायावर की तरह भ्रमण में विस्वास करते हैं।देश,दुनियाँ की संस्कृति,संस्कार,त्यौहार,प्रकृति,जनजीवन के अनुभव को कबीर की तरह एक धागे में पिरोना जानते है।धर्म,जाति,भाषा,रंग के भेदभाव,दिखावा इन्हें पसंद नहीं।समाज के हर धागे को बुनकर एक साथ एक बड़ी प्रेम की चादर अपनी तस्बीरों द्वारा बुनना इन्हें आता हैं।प्रेम ही सब कुछ है।कबीर एक गरीब मुसलमान बुंनकर के घर पैदा हुए थे।
कबीर का एक दोहा है-
कबीर बादल प्रेम का,हम पर बरप्या आई।
अंतरि भीगी आत्मा,हरी भई बनराई।।
            डगलस को बचपन की यादें,अपने परिवेश,पुराने दरभंगा के राजघराने के किले,साज सज्जा,कपडे के झालर,छत से लटकते पंखे,डोरी, कार्पेट्स-दरी,साधु संत,अवघड़,नागा साधुओं ने रोमांचित,प्रभावित किया है। शिव भक्त विद्यापति के भक्ति गीत।जानकी बल्लभ शास्त्री जो इनके शहर मुजफ्फरपुर से आते हैं के साहित्य।मिथिला क्षेत्र के बाबा नागार्जुन का प्रभाव यायावरी/खानाबदोश की तरह घूमने की प्रबृत्ति इन्हें विरासत में मिली है।अपने पूर्वजों के संस्कार ने इन्हें समृद्ध किया है।यही कारण है कि कलाकर्म के लिए यह 28 देशों का भ्रमण इतने कम समय,उम्र में अपने खुद के संसाधनों से पूरा कर लिया।यह बड़ी बात है।
        अंतर्राष्ट्रीय समूह,एकल प्रदर्शनी,आर्ट फेयर,बेनाले जैसे आर्ट शोज में यह मिलान इटली,स्पेन,साउथ कोरिया,नॉर्वे,अबु धाबी,कतर जैसे देशों में अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित करते रहते हैं।।           दिल्ली,मुम्बई,अहमदाबाद,वाराणसी, अमृतसर शहरों में इनके चित्र दर्शको के सम्मुख रखे गए हैं।डगलस एक विचारक हैं।सोंचते हैं उन विषयों पर,उपलब्ध संसाधनों पर जो इन्हें पसंद है।उपलब्ध माध्यमों और तकनीक के द्वारा कैसे तस्बीरों में उन तत्वों का प्रयोग करें?
डगलस के चित्रों के माध्यम मिक्स्ड मीडिया है।कैनवास पर मोती,कारपेट्स-दरी और उसके धागे,इंडस्ट्रियल वेस्ट कटिंग,फोटो प्रिन्ट्स,बिंदी,मंगल सूत्र तथा उसके धागे  है।रंगों में ऐक्रेलिक कलर्स,पेंसिल,स्केचपेन और प्योर गोल्ड कैनवास पर लगाते हैं।
         डगलस अपनी तस्बीरों में रंगों का प्रयोग सीमित रखतें हैं।ब्लैक,ब्लू,ब्राउन के बीच छोटे छोटे बीड्स अलग अलग रंगों में सितारों की तरह दिखते हैं।कही कही रेड,येलो के पैच तस्बीरों को गति प्रदान करते हैं।पहाड़,झरने सी आकृतियाँ दिखती हैं।इनके चित्रों के फैब्रिक्स के टेक्सचर,धागों की डोर का फैलाव,अंदर से ओवरलैप होते रंग,धागे रोमांच की अनुभूति कराती हैं।
 गोल्ड चित्रों में लगाते हैं जिसका मकसद समाज में रिश्तों की पवित्रता,वैल्यू का ट्रान्सफर आगे की पीढ़ी को करना हमारी परंपरा है को डर्सगता है।सह अपनी बहू को सोने के गहने देती है जो आगे की पीढ़ी को हस्तांतरित होती रहती है।डगलस की सोंच रिश्तों की वैल्यू,प्यूरिटी को अपने चित्रों के माध्यम से दिखाना चाहते हैं।इसी कड़ी में महिताओं के पवित्र मंगल सूत्र के धागे,मोती को कैनवास पर बड़े ही करीने से चिपकाते हैं।फोटो प्रिंट्स के छोटे छोटे टुकड़े को ऐसे चिपकाया जाता है जो चित्रों में समा जाता है।घुलमिल जाता हैं।महीन रेंडरिंग करते हैं ताकि चित्र अपने में समेट लें आकृतियों को जो फोटो प्रिंट्स में हैं।फोटो प्रिंट्स भीड़ भाड़,पुराने किले, राजाओं के महल ,छठ घाट जैसी जगहों के होते हैं।इन चित्रों के पीछे भी इनकी सोंच प्यूरिटी ऑफ़ लाईफ,सोसाइटी,प्रेम है।
               कलाकार अपनी सोंच को चित्रों के माध्यम से दर्शकों से संवाद करता है।अपनी बातें रखता है।जनता,समाज उसे देखे,समझे,आनंद लें,आलोचना करें उसपर निर्भर करता है।कलाकार ने अपनी बात रख दी है।
             ए.के.डगलस के चित्रों का आनंद लें।

*अनिल कुमार सिन्हा
  चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।

Monday, 29 June 2020

हेमराज Hemraj दिल्ली में रहने वाले देश के चर्चित समकालीन अमूर्त कला के रचैता चित्रकार हैं।

हेमराज Hemraj दिल्ली में नियमित चित्र को रचते,गढ़ते रहते हैं।अमूर्त कला/एब्स्ट्रैक्ट पेंटर हैं।1993 में इन्हों ने दिल्ली आर्ट कॉलेज से मास्टर ऑफ़ फाईन अर्ट्स की डिग्री प्राप्त किया था।आदरणीय राजेश मेहरा तथा ओ.पी. शर्मा जैसे गुरुओं के आशीर्वाद से LTG गैलरी,नई दिल्ली में पहली एकल चित्र प्रदर्शनी लगाई थी।1994 में जहाँगीर आर्ट गैलरी,मुम्बई युवा कलाकार के रूप में दूसरी एकल चित्र प्रदर्शनी लगाई जो सफल रही।उसके बाद से आजतक हेमराज रुके नहीं।देश और दुनियाँ के गैलरियों में नियमित इनके एकल तथा सामूहिक प्रदर्शनियों में भागिदारी रहती है।हेमराज धूमीमल गैलरी,नई दिल्ली के सम्मानित कलाकार हैं।गैलरी इनकी तस्बीरों को देश विदेश की आर्ट गैलरियों में प्रदर्शित करती रहती है।ब्यावसायिक गैलरी का साथ मिलना कलाकारों को आगे काम करते रहने में सहायक होता है।हेमराज नियमित कला साधना को समर्पित रहते हैं।
      कलाकार को कला में सृजन हेतु कहीं से प्रेरणा मिलती है।हेमराज महान संत,आध्यात्मिक गुरु,विचारक  श्री रामकृष्ण परमहंस की भक्ति,साधना अध्यात्म एवं प्रकृति से प्रभावित हैं।चित्रकार भी एक संत की तरह होता है।कला साधना करते वक्त चित्र के माध्यम से ईश्वर के करीब होता है।मन,मस्तिष्क का केंद्र बिंदू कला और अध्यात्म और ईश्वर से जोड़ता है।ध्याम की मुद्रा में लीन होकर हेमराज कृतियाँ रचते हैं।गढ़ते हैं।मंत्र की जाप की तरह यह कृतियों को उकेरने में लगातार लगे रहते हैं।नियमित कला साधना ही कलाकार को परमहंस के दर्शन करता है।दिब्य सुख की अनुभूति होती है।
हेमराज के स्वभाव में भी सुकून,शांति,ठहराव और कर्मयोगी जैसी चमक दीखती है।
      कलाकार की सोंच का असर उसकी कृतियों पर दिखता है।प्रकृति के रूपाकारों,रंगों,आकारों को अमूर्त रूप में हेमराज देखते हैं।अपने चित्र संयोजन में मुक्त होकर समतल सतह पर विचरण करते हैं।दिल में उठ रहे भाव को कैनवास पर विभिन्न आकृतियों को उकेरते रहते हैं जब तक संतुष्टी न हो जाये।मन के भाव, विचार के अनुकूल आकारों को कैनवास पर अपनी इच्छानुसार उकेरने तक अभ्यास चलता रहता है।जब तक तस्बीरों में मन के भाव,सोंच के अनुसार परिणाम न मिल जाए तब तक मैं लगा रहता हूँ ऐसा हेमराज का मानना है।यह सही भी है।कलाकार जब साधना के चरम सुख प्राप्त करने की स्थिति में आता है तभी कृतियाँ प्रभावशाली सृजित होती हैं जो दर्शकों को आकर्षित करती हैं।हेमराज के एब्स्ट्रैक्ट चित्र प्रकृति की खुशबू को कैनवास की सतह पर समेट कर बहुआयाम  पैदा करती हैं।
      हेमराज के चित्रों के रंग और रेखायें महत्वपूर्ण हैं।दर्शको को चित्रों के केंद्र बिन्दू तक समेटना।एकाग्रता चित्रों को देखते समय बनी रहे।दिल,दिमाग,मन भटके नहीं यह ज़रूरी होता है।हेमराज के चित्रों को आप देखते रह जायेंगें।इनकी कृतियों के आगे खड़े होने को विवश करती है इनकी कृतियों के रंग और रेखायें।हेमराज अनेकों लेयर,परत दर परत रंग लगाते हैं।छाया,प्रकाश,डेफ्थ के नियंत्रण से तस्बीरों विभिन्न आयाम बनती हैं।रंगों के विभिन्न सतहों के नीचे से झांकती रेखायें,बनती आकृतियाँ आँखों को ठहरने,रुकने को कहती हैं।मजबूर करती हैं।आकृतियाँ सत्यम,शिवम,सुंदरम के दर्शन कराती हैं।शिव का भोलापन,दिब्यता सा भाव चित्रों में दिखता है।
हेमराज तैल रंगों में चित्र बनाते हैं। नीला,हरा,पीला,लाल,ऑरेंज रंगों के विविन्न टोन्स कैनवास की सतह पर फैलाते हैं।यह ओपेक कलर लगाते हैं।विभिन्न टूल्स के सहारे टेक्सचर बनाते हैं।
इनकी रेखायें काले,ब्राउन रंगों में होती हैं।रेखायें इनके चित्रों में अंदर,ऊपर,नीचे रंगों के सतह के अंदर से दिखती हैं।कहीं कहीं टूटती हैं।चित्रों में लय,गति प्रदान करती है।चित्रों में रेखायें मत्वपूर्ण में अपना प्रभाव रखती हैं।
      कलाकृतियों पर जब लिखने बैठता हूँ तो कृतियों को देखने में इतना समा जाता हूँ कि शब्द नहीं मिलते।कलाकार लेखन करे तो यही समस्या हैं।हेमराज की कलाकृतियां मुझे आकर्षित करती हैं।पसंद आती हैं।कलाकार जब दिल से कुछ रचता,गढ़ता हैं तो देखने वाले की अत्म से संवाद कर पाता है।हेमराज की कृतियाँ आपसे संवाद करेंगी।बातें करेंगी।ठहरने को मजबूर करेंगी।कलाकर की सफलता भी इसी में हैं।
कृतियों का आनंद प्राप्त करें।खुश रहें।

अनिल कुमार सिन्हा
चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।
नॉएडा।

Sunday, 28 June 2020

मानसिक स्वास्थ्य,तनाव,चिंता से मुक्ति में रचनात्मक कला चिकित्सा उपयोगी।।(Creative Art Therapy)

समाज में अनेकों तरह की सामाजिक,आर्थिक,परिवरिक,ब्यवसायिक जैसी अनेकों समस्यायें हैं जिससे हमें रूबरू होना पड़ता है।समस्या और समाधान में तालमेल बिठाना होता है।कुछ लोग इसमें सफल होते हैं।बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते।निर्णय एक गलत हो जाये तो सुधरने के बजाये आगे और गलतियां करते जातें हैं इस कारण मानसिक तनाव की शुरुआत होती है।धीरे धीरे यह तनाव,चिंता,परेशानी पागलपन में परिवर्तित होने लगता है जिसका हमें पता ही नहीं चलता।आगे चलकर मानसिक दवाव में लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं।समय रहते शुरुआती दौर में लोंगों को अपने आप को ध्यान भटकाने,मन बदलने के लिए रचनात्मक कला चिकित्सा का सहारा लेना लाभप्रद होगा।
             रचनात्मक कला चिकित्सा प्रक्रिया है क्या? इसे समझना होगा।जब आप तनाव में हों तो आपको अपने ध्यान को समस्या से अलग भटकाने की ज़रुरत है।बार बार समस्या अपनी ओर खींचती है।आपको अपने आप पर संयम बरतना होगा।मुश्किल काम है।जो नियंत्रण कर लेगा वह दबाव से बाहर निकल जाएगा।चिन्ता,गुस्सा,तनाव से बहार निकलने के लिये अपनी पसंद के संगीत सुने।नृत्य करें।चित्र बनायें।किताबें पढ़ें आदि।
मैं चित्रकार हूँ।कला की साधना में लगा रहता हूँ जो मुझे,मेरे मन को सुकून,शांति देता है।मुझे लगा कला के माध्यम से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए जानकारी देनी चाहिए।यह एक कारगर माध्यम है मानसिक दबाव से मुक्त होने का।दुनियाँ के विकसित देश रचनात्मक कला चिकित्सा का प्रयोग मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए करते हैं।हमारे लोगों को भी करना चाहिए।
           अपूर्णीय इच्छा,भयानक यादें,बुरे ब्यौहार,पारिवारिक झगडे,अपंगता,गंभीर बीमारी,ब्यवसाय में असफलता,बच्चों पर अत्यधिक दबाव थोपना जैसी समस्यायों के  कारण आज का समाज बुरी तरह प्रभावित है।आये दिन हादसे होते रहते हैं।समाज इन समस्यओं से भली भांति परिचित है।जब कुछ हो जाता है तब रोने गाने से कुछ हासिल नहीं होगा।नुकसान जो हो जाता है उसकी भरपाई नहीं हो सकती।समय रहते अपने आप को ठीक रखें।आसपास के लोगों पर नज़र रखें कोई समस्या तो नहीं है किसी के साथ?सहयोग करें।मार्गदर्शन करें ताकि कोई हादसा न हो जाए।
        स्वस्थ मन,दिल,दिमाग,मानसिक शांति के लिए योग कारगर है।लगातार योग आपको स्वस्थ रखेगा।
रचनात्मक कला चिकित्सा मानव को मानसिक तनाव, चिंता,घबड़ाहट,बेचैनी से राहत देगा।कला रचनाकर्म घर में करें।कलाकारों के स्टूडियो से जुड़ें।उन्हें देखें कैसे रचना प्रक्रिया होती है।आप भी कलाकारों की तरह
रंगों से कागज़,कैनवास पर खेलें।आप इसकी चिंता ना करें कि क्या बनाना,आंकना,रचना आता है या नहीं?कागज़,अखबार,मैगज़ीन को फाड़ें,काटे,चिपकाएं,कोलाज बनायें।आनंद की प्राप्ति होगी।ख़ुशी मिलेगी।मन,मस्तिस्क स्वस्थ होगा। रचनात्मक कला चिकित्सा को एक बार आजमा कर देखें।मानसिक,शारारिक रूप में स्वस्थ होंगें।कला का आनंद लें।स्वस्थ रहें।

नोट-उपर्युक्त विचार मेरे हैं।आप असहमत हो सकते हैं।
Tagged my Painting on canvas in acrylic colours.size-24"×24".Title-Wilderness.

Wednesday, 24 June 2020

सर्फ़राज अली गाज़ियाबाद के युवा,ऊर्जावान चित्रकार एवं मूर्त्तिकार हैं।इनकी कला जन उपयोगी है।कला समाज का आईना होती है।कलाकरों ने अपने समय,काल को अपनी कृतियों के माध्यम से सहेजा है।कला के माध्यम से आगे आने वाली पीढ़ी समाज,काल में हुए परिवर्तन,बदलाव,संस्कृति,रीतियाँ,कुरीतियों को कलाकृतियों के माध्यम से समझ सकेगें।गुफा चित्र इसके उदहारण हैं। वर्तमान काल में दुनियाँ की समस्या पर्यावरण में फ़ैल रहे प्रदूषण,प्लास्टिक कचरा,कार्बन का अत्यधिक उत्सर्जन है।कलाकार भी इस समस्या से अनभिज्ञ नहीं है।सृजनशील समकालीन कलाकार अपनी कृतियों के माध्याम से समाज को रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं।कलाकृतियों के माध्यम से प्लास्टिक कचरा भी कम हो जाये और वातावरण सुन्दर,मनोहारी,स्वच्छ हो जाये यह प्रयास हो रहे है।सर्फराज अली प्लास्टिक कचरे को कलाकृतियों में बदलने का काम कर रहे हैं। कला जब समाज से सीधा संवाद करने लगे तो जन उपयोगी,पब्लिक आर्ट हो जाती है।दुनियाँ में पॉलिटिकल अन्दोलनो,सत्ता परिवर्तन में कलाकारों ने अहम् भूमिका निभाई है।उसी प्रकार सर्फ़राज अली ने समकालीन कला सृजन के साथ ही साथ वेस्ट प्लास्टिक कचरा को कलात्मक स्वरुप दिया है ताकि प्लास्टिक कचरा का उपयोगी निस्तारण हो सके।पार्क,सरकारी भवन,एयरपोर्ट,मॉल्स में इनकी कृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं।क्रिएटीव आर्ट वर्क्स को इन्हों ने दिल्ली,मुम्बई की बड़ी आर्ट गैलरियों,आर्ट फेयर में प्रदर्शित किया है।बड़े सेलीब्रीटीज़ संजीव कपूर जैसे सेफ ने भी मुम्बई में इनकी कृतियों को सराहा है।।सर्फराज को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स तथा एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स से सम्मनित किया जा चुका है। प्लास्टिक कचरे को कलाकृतियों में परिवर्तित करने के लिए यह व्हाइट सैंड,मार्बल,वुड़,रेज़िन अदि का उपयोग बाईडिंग मेटेरियल के रूप में इस्तेमाल करते हैं।इनकी कृतियों में मार्वल,जादुभरा प्रकृति का टेक्सचर दिखता है।यह प्रकृति की आत्मा,जीवन के सत्य को आत्मसात कर कृतियों को गढ़ते हैं।प्रकृति से इन्हें प्रेम है।इनकी कला में सहज आकृतियाँ उभरकर साकार रूप लेती हैं।नीला,हरा,जल रंग,बहता हुआ जल प्रवाह सा आकार कृतियों में फैनटासी क्रिएट करता है।। एक पैर का टेबल इन्हों ने प्लास्टिक कचरे से बनाया है।ख़ूबसूरत,प्रभावशाली यह टेबल सबों को आकर्षित करती है।प्लास्टिक मीटीरील से बनें अनेकों कृतियाँ इन्हों ने गढ़ी हैं जो समकालीनता का अहसास कराती है।नयापन लिए हुए हैं।आप सहसा इसे छूने का प्रयास करेंगे।समुद्री जल रंगों सा प्रभाव सुकून,शांति देता हैं।। सर्फ़राज अली का प्लास्टिक कचरे से बनी कृति बापू का चरखा,बापू का चश्मा,विशाल मछली,कचरा बॉक्स अदि स्वच्छता का अहसास कराती है।मूर्तिशिल्प निर्माण में प्लास्टिक कचरे के माध्यम से बड़े आकार की आधुनिक कृतियों को गढ़ने की इनकी योजना पर काम चल रहा है।उम्मीद है जल्द कुछ अदभुत,आकर्षक,अनमोल कृतियाँ देखने को मिलेगी।सर्फराज अली की आधुनिक कलाकृतियों का आनंद लें।। अनिल कुमार सिन्हा। चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।। नॉएडा।

Tuesday, 23 June 2020

राजेन्द्र करण,लखनऊ शबीहों(पोर्ट्रेट) तथा समसामयिक कला के रचैता चर्चित चित्रकार हैं।

राजेन्द्र करण,लखनऊ शबीहों(पोट्रेट)के चितेरे हैं।इन्होंने अटल बिहारी बाजपेई,महात्मा गांधी जैसे अनेकों महापुरुषों के शबीहों को रचा है जो निजी तथा संग्रहालयों में संग्रहित है।पोर्ट्रेट में ब्यक्ति की आत्मा,उनके संस्कार,भाव,जीवन के रंगों को चित्रकार अपनी रचना में रचता, गढ़ता है।राजेन्द्र करण  शबीह(पोर्ट्रेट) निर्माण में ब्याक्ति कि आभा को सफलता पूर्वक उकेरने में माहिर है।यह चर्चित पोर्ट्रेट मास्टर हैं।
           समसामयिक कला रचनाकर्म में भी यह उतने ही सिद्धहस्त हैं।इनकी एब्सट्रैक्ट चित्र अति प्रभावशाली हैं जो दर्शकों को अपनी और आकर्षित करती हैं।आधुनिक कला की दुनियाँ बृहत् है।दुनियाँ में लाखों कलाकार सृजनरत हैं।हर दिन नए प्रयोग हो रहे हैं।इंस्टॉलेशन का ज़माना है।प्रयोगों की कोई सीमा नहीं रह गई है।कलाकारों को अपने आप को साबित करने के लिए अपने मौलिक वज़ूद को सहेजते हुए कुछ नया करना होता है।कलाकार इसी जद्दोजहत में संघर्ष करता रहता कि अपनी कलात्मक पहचान को स्थापित कर सकें।राजेंद्र चित्रों में थ्री डी से आगे रीयलिज़्म की दृश्य तकनीक की खोज में लगे हैं।
             राजेन्द्र करण ने यह काम अपने चित्रों को रचते वक़्त बखूबी निभाया है।इनकी तूलिका के आघात कैनवास पर अलग लयकारी प्रस्तुत करती हुई दिखती हैं।संगीतमयी स्वर लहरियों की अनुभूति डांसिंग स्ट्रोक्स आनंद का अनुभव कराती हैं।पंछियों की मधुर आवाज हवा में अद्भुत लहर चित्रों में महसूस कराती हैं।रंगों के छाया,प्रकाश,गहराई/डेफ्थ से चित्रों में बहुआयाम का अहसाह होता है।
              राजेन्द्र करण के चित्रों की खासियत इनके रंगों का चयन है।चित्रों के रंगों के फैलाव कैनवास पर फूलों की महक,ख़ूबसूरत ठंढी हवाओं का अहसास कराती है।विस्वास है राजेंद्र करण अपनी कलात्मक रचनाओं से समाज को रूबरू कराते रहेंगें।राजेन्द्र की कला का रासास्वादन करें।रुकें फिर देखें।
असीम संभावओं के कलाकार है राजेन्द्र करण।

अनिल कुमार सिन्हा
चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।
नॉएडा।

Tuesday, 16 June 2020

हरीश श्रीवास्तव का हिमालय प्रेंम।

हरीश श्रीवास्तव का रचना संसार हिमालय,हिमालय और हिमालय की पहाड़ियाँ हैं।हिमालय में इनकी आत्मा बसती हैं।प्रकृति प्रेमी श्रीवास्तव की कला यात्रा छह दशकों से आज भी जारी है।कला यात्रा और प्रशासनिक कामों में तालमेल बिठाना मुश्किल होता है।श्रीवास्तव साहित्य कला परिषद् तथा ललित कला अकादेमी,नई दिल्ली के पदाधिकारी रहे हैं।अकादेमी में उप सचिव के रूप में चर्चित रहे हैं।इनकी प्रशानिक क्षमता तथा मृदु ब्यौहार के कलाकार कायल रहे हैं।आज भी इनकी सेवाओं को लोग याद करते हैं।
      कलाकार मन तो सृजन के लिये तड़पता है। समय मिलते यह कला सृजन में रम जाते रहे हैं।आज भी यह रोज अभ्यास करते रहते हैं।कला सृजन कि तड़प उम्र के साथ परवान चढ़ती रही है।समकालीन समय के साथ और अधिक ऊर्जा,ताकात,लगन,युवा मन से हरीश श्रीवास्तव को प्रभावशाली कलाकृतियों को उकेरने कि प्रेरणा मिलती रहती है।श्रीवास्तव नियमित सृजन क्रिया से जुड़े रहे हैं।लगातार अभ्यास।सृजन की निरन्तर बहती धारा कला में निखार पैदा करती है।अपनी शैली,तकनीक विकसित करती है।
            श्रीवास्तव के चित्रों का संयोजन,रंगभाषा,रंगों का तापमान,रंग पैलेट अपनी विकसित की हुई है।इनके ब्रश के आघात समतल सतह पर उभार का अहसास कराते हैं।तस्बीरों में क्रिएट किये गए खुरदुरापन,टेक्सचर सतह पर बहु आयाम पैदा करती हैं।चित्रों को दर्शक देखकर पहचान लेते हैं यह हरीश श्रीवास्तव की गढ़ी,उकेरी कृतियां हैं।
         हिमालय की पहाड़ियों की खूबसूरती ने अनेकों चित्रकारों को प्रभावित किया है चित्र संरचना के लिए।निकोलस रोरिक,जहांगीर सबावाला,रामकुमार,ए.
रामचन्द्रन,यशोधर मतपाल  जैसे अनेकों चित्रकार हैं जिन्हों ने हिमालय को कैनवास पर उकेरा है।सबों की अपनी शैली है।रंग विन्यास है।आकृतियों की गढन है।
          हरीश श्रीवास्तव के हिमालय की चमक उनके रंगों के चयन।रंगों के फैलाव।सिल्क,मखमली हल्के ब्रश के आघात चित्रों को सॉफ्ट बनाते हैं।अद्भुत ब्रश की पकड़ नए आयाम पैदा करते हैं।रंगों से खुल कर खेलना।रंगों को अपनी मर्ज़ी,पसंद से तैयार करना।कैनवास पर रंगों का फैलाव का प्रयोग हरीश श्रीवास्तव का अपना है।रंगों का इनका चयन तस्बीरों को औरों से अलग करता है। नीला,गहरा नीला,बर्न्टसाइन,ऑरेंज,रेड,येलो,ग्रीन,गोल्डन रंगों का प्रयोग यह अधिकतर चित्रों में करते हैं।रंगों के टोन,डिफरेंट शेड्स के सहारे तस्बीरों में पहाड़ों कि आकृतियों को अलग करते हैं।यह रेखाओं का प्रयोग बिल्कुल नहीं करते।यह इनकी अपनी प्रभावशाली अद्भुत तकनीक है।गहरा,हल्के रंगों के विभिन्न टोन्स,छाया प्रकाश के कंट्रोल से कैनवास की सतह पर नज़दीक,दूरी का अहसास खूबसूरती से यह कराते हैं जो तस्बीरों में बहु आयाम का अहसास कराते हैं।पारदर्शी रंग परत दर परत चित्रों में सुन्दरता बिखेरती है।अंदर की सतह से झांकता पारदर्शी रंग दर्शकों को रोमांच की अनुभूति कराता है।
         श्रीवास्तव ज्यादातर चित्र तैल रंगों में उकेरते हैं।कुछ चित्र वाटर कलर में भी बनायें हैं।मूलतः इन्हें कैनवास पर तैल रंगों  में चित्र रचना पसंद हैं।इनका रचना संसार आज भी 80 वर्ष की उम्र में पूरी ऊर्जा के साथ जारी है।100 वर्षों तक यह सृजनरत रहें।कला जगत की धरोहर है इनकी कृतियाँ।देश,समाज,कला संस्थान इसे संजोय।आगे आने वाली पीढ़ी देख सकेगी हमारे बुजुर्गों,वरीष्ठ कलाकारों ने क्या रचा,गढ़ा है।
हरीश श्रीवास्तव की कला का आनंद लें।
अनिल कुमार सिन्हा
चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।
नॉएडा।