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Tuesday, 16 June 2020

हरीश श्रीवास्तव का हिमालय प्रेंम।

हरीश श्रीवास्तव का रचना संसार हिमालय,हिमालय और हिमालय की पहाड़ियाँ हैं।हिमालय में इनकी आत्मा बसती हैं।प्रकृति प्रेमी श्रीवास्तव की कला यात्रा छह दशकों से आज भी जारी है।कला यात्रा और प्रशासनिक कामों में तालमेल बिठाना मुश्किल होता है।श्रीवास्तव साहित्य कला परिषद् तथा ललित कला अकादेमी,नई दिल्ली के पदाधिकारी रहे हैं।अकादेमी में उप सचिव के रूप में चर्चित रहे हैं।इनकी प्रशानिक क्षमता तथा मृदु ब्यौहार के कलाकार कायल रहे हैं।आज भी इनकी सेवाओं को लोग याद करते हैं।
      कलाकार मन तो सृजन के लिये तड़पता है। समय मिलते यह कला सृजन में रम जाते रहे हैं।आज भी यह रोज अभ्यास करते रहते हैं।कला सृजन कि तड़प उम्र के साथ परवान चढ़ती रही है।समकालीन समय के साथ और अधिक ऊर्जा,ताकात,लगन,युवा मन से हरीश श्रीवास्तव को प्रभावशाली कलाकृतियों को उकेरने कि प्रेरणा मिलती रहती है।श्रीवास्तव नियमित सृजन क्रिया से जुड़े रहे हैं।लगातार अभ्यास।सृजन की निरन्तर बहती धारा कला में निखार पैदा करती है।अपनी शैली,तकनीक विकसित करती है।
            श्रीवास्तव के चित्रों का संयोजन,रंगभाषा,रंगों का तापमान,रंग पैलेट अपनी विकसित की हुई है।इनके ब्रश के आघात समतल सतह पर उभार का अहसास कराते हैं।तस्बीरों में क्रिएट किये गए खुरदुरापन,टेक्सचर सतह पर बहु आयाम पैदा करती हैं।चित्रों को दर्शक देखकर पहचान लेते हैं यह हरीश श्रीवास्तव की गढ़ी,उकेरी कृतियां हैं।
         हिमालय की पहाड़ियों की खूबसूरती ने अनेकों चित्रकारों को प्रभावित किया है चित्र संरचना के लिए।निकोलस रोरिक,जहांगीर सबावाला,रामकुमार,ए.
रामचन्द्रन,यशोधर मतपाल  जैसे अनेकों चित्रकार हैं जिन्हों ने हिमालय को कैनवास पर उकेरा है।सबों की अपनी शैली है।रंग विन्यास है।आकृतियों की गढन है।
          हरीश श्रीवास्तव के हिमालय की चमक उनके रंगों के चयन।रंगों के फैलाव।सिल्क,मखमली हल्के ब्रश के आघात चित्रों को सॉफ्ट बनाते हैं।अद्भुत ब्रश की पकड़ नए आयाम पैदा करते हैं।रंगों से खुल कर खेलना।रंगों को अपनी मर्ज़ी,पसंद से तैयार करना।कैनवास पर रंगों का फैलाव का प्रयोग हरीश श्रीवास्तव का अपना है।रंगों का इनका चयन तस्बीरों को औरों से अलग करता है। नीला,गहरा नीला,बर्न्टसाइन,ऑरेंज,रेड,येलो,ग्रीन,गोल्डन रंगों का प्रयोग यह अधिकतर चित्रों में करते हैं।रंगों के टोन,डिफरेंट शेड्स के सहारे तस्बीरों में पहाड़ों कि आकृतियों को अलग करते हैं।यह रेखाओं का प्रयोग बिल्कुल नहीं करते।यह इनकी अपनी प्रभावशाली अद्भुत तकनीक है।गहरा,हल्के रंगों के विभिन्न टोन्स,छाया प्रकाश के कंट्रोल से कैनवास की सतह पर नज़दीक,दूरी का अहसास खूबसूरती से यह कराते हैं जो तस्बीरों में बहु आयाम का अहसास कराते हैं।पारदर्शी रंग परत दर परत चित्रों में सुन्दरता बिखेरती है।अंदर की सतह से झांकता पारदर्शी रंग दर्शकों को रोमांच की अनुभूति कराता है।
         श्रीवास्तव ज्यादातर चित्र तैल रंगों में उकेरते हैं।कुछ चित्र वाटर कलर में भी बनायें हैं।मूलतः इन्हें कैनवास पर तैल रंगों  में चित्र रचना पसंद हैं।इनका रचना संसार आज भी 80 वर्ष की उम्र में पूरी ऊर्जा के साथ जारी है।100 वर्षों तक यह सृजनरत रहें।कला जगत की धरोहर है इनकी कृतियाँ।देश,समाज,कला संस्थान इसे संजोय।आगे आने वाली पीढ़ी देख सकेगी हमारे बुजुर्गों,वरीष्ठ कलाकारों ने क्या रचा,गढ़ा है।
हरीश श्रीवास्तव की कला का आनंद लें।
अनिल कुमार सिन्हा
चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।
नॉएडा।

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