सर्फ़राज अली गाज़ियाबाद के युवा,ऊर्जावान चित्रकार एवं मूर्त्तिकार हैं।इनकी कला जन उपयोगी है।कला समाज का आईना होती है।कलाकरों ने अपने समय,काल को अपनी कृतियों के माध्यम से सहेजा है।कला के माध्यम से आगे आने वाली पीढ़ी समाज,काल में हुए परिवर्तन,बदलाव,संस्कृति,रीतियाँ,कुरीतियों को कलाकृतियों के माध्यम से समझ सकेगें।गुफा चित्र इसके उदहारण हैं। वर्तमान काल में दुनियाँ की समस्या पर्यावरण में फ़ैल रहे प्रदूषण,प्लास्टिक कचरा,कार्बन का अत्यधिक उत्सर्जन है।कलाकार भी इस समस्या से अनभिज्ञ नहीं है।सृजनशील समकालीन कलाकार अपनी कृतियों के माध्याम से समाज को रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं।कलाकृतियों के माध्यम से प्लास्टिक कचरा भी कम हो जाये और वातावरण सुन्दर,मनोहारी,स्वच्छ हो जाये यह प्रयास हो रहे है।सर्फराज अली प्लास्टिक कचरे को कलाकृतियों में बदलने का काम कर रहे हैं। कला जब समाज से सीधा संवाद करने लगे तो जन उपयोगी,पब्लिक आर्ट हो जाती है।दुनियाँ में पॉलिटिकल अन्दोलनो,सत्ता परिवर्तन में कलाकारों ने अहम् भूमिका निभाई है।उसी प्रकार सर्फ़राज अली ने समकालीन कला सृजन के साथ ही साथ वेस्ट प्लास्टिक कचरा को कलात्मक स्वरुप दिया है ताकि प्लास्टिक कचरा का उपयोगी निस्तारण हो सके।पार्क,सरकारी भवन,एयरपोर्ट,मॉल्स में इनकी कृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं।क्रिएटीव आर्ट वर्क्स को इन्हों ने दिल्ली,मुम्बई की बड़ी आर्ट गैलरियों,आर्ट फेयर में प्रदर्शित किया है।बड़े सेलीब्रीटीज़ संजीव कपूर जैसे सेफ ने भी मुम्बई में इनकी कृतियों को सराहा है।।सर्फराज को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स तथा एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स से सम्मनित किया जा चुका है। प्लास्टिक कचरे को कलाकृतियों में परिवर्तित करने के लिए यह व्हाइट सैंड,मार्बल,वुड़,रेज़िन अदि का उपयोग बाईडिंग मेटेरियल के रूप में इस्तेमाल करते हैं।इनकी कृतियों में मार्वल,जादुभरा प्रकृति का टेक्सचर दिखता है।यह प्रकृति की आत्मा,जीवन के सत्य को आत्मसात कर कृतियों को गढ़ते हैं।प्रकृति से इन्हें प्रेम है।इनकी कला में सहज आकृतियाँ उभरकर साकार रूप लेती हैं।नीला,हरा,जल रंग,बहता हुआ जल प्रवाह सा आकार कृतियों में फैनटासी क्रिएट करता है।। एक पैर का टेबल इन्हों ने प्लास्टिक कचरे से बनाया है।ख़ूबसूरत,प्रभावशाली यह टेबल सबों को आकर्षित करती है।प्लास्टिक मीटीरील से बनें अनेकों कृतियाँ इन्हों ने गढ़ी हैं जो समकालीनता का अहसास कराती है।नयापन लिए हुए हैं।आप सहसा इसे छूने का प्रयास करेंगे।समुद्री जल रंगों सा प्रभाव सुकून,शांति देता हैं।। सर्फ़राज अली का प्लास्टिक कचरे से बनी कृति बापू का चरखा,बापू का चश्मा,विशाल मछली,कचरा बॉक्स अदि स्वच्छता का अहसास कराती है।मूर्तिशिल्प निर्माण में प्लास्टिक कचरे के माध्यम से बड़े आकार की आधुनिक कृतियों को गढ़ने की इनकी योजना पर काम चल रहा है।उम्मीद है जल्द कुछ अदभुत,आकर्षक,अनमोल कृतियाँ देखने को मिलेगी।सर्फराज अली की आधुनिक कलाकृतियों का आनंद लें।। अनिल कुमार सिन्हा। चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।। नॉएडा।

Comments