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Monday, 29 June 2020

हेमराज Hemraj दिल्ली में रहने वाले देश के चर्चित समकालीन अमूर्त कला के रचैता चित्रकार हैं।

हेमराज Hemraj दिल्ली में नियमित चित्र को रचते,गढ़ते रहते हैं।अमूर्त कला/एब्स्ट्रैक्ट पेंटर हैं।1993 में इन्हों ने दिल्ली आर्ट कॉलेज से मास्टर ऑफ़ फाईन अर्ट्स की डिग्री प्राप्त किया था।आदरणीय राजेश मेहरा तथा ओ.पी. शर्मा जैसे गुरुओं के आशीर्वाद से LTG गैलरी,नई दिल्ली में पहली एकल चित्र प्रदर्शनी लगाई थी।1994 में जहाँगीर आर्ट गैलरी,मुम्बई युवा कलाकार के रूप में दूसरी एकल चित्र प्रदर्शनी लगाई जो सफल रही।उसके बाद से आजतक हेमराज रुके नहीं।देश और दुनियाँ के गैलरियों में नियमित इनके एकल तथा सामूहिक प्रदर्शनियों में भागिदारी रहती है।हेमराज धूमीमल गैलरी,नई दिल्ली के सम्मानित कलाकार हैं।गैलरी इनकी तस्बीरों को देश विदेश की आर्ट गैलरियों में प्रदर्शित करती रहती है।ब्यावसायिक गैलरी का साथ मिलना कलाकारों को आगे काम करते रहने में सहायक होता है।हेमराज नियमित कला साधना को समर्पित रहते हैं।
      कलाकार को कला में सृजन हेतु कहीं से प्रेरणा मिलती है।हेमराज महान संत,आध्यात्मिक गुरु,विचारक  श्री रामकृष्ण परमहंस की भक्ति,साधना अध्यात्म एवं प्रकृति से प्रभावित हैं।चित्रकार भी एक संत की तरह होता है।कला साधना करते वक्त चित्र के माध्यम से ईश्वर के करीब होता है।मन,मस्तिष्क का केंद्र बिंदू कला और अध्यात्म और ईश्वर से जोड़ता है।ध्याम की मुद्रा में लीन होकर हेमराज कृतियाँ रचते हैं।गढ़ते हैं।मंत्र की जाप की तरह यह कृतियों को उकेरने में लगातार लगे रहते हैं।नियमित कला साधना ही कलाकार को परमहंस के दर्शन करता है।दिब्य सुख की अनुभूति होती है।
हेमराज के स्वभाव में भी सुकून,शांति,ठहराव और कर्मयोगी जैसी चमक दीखती है।
      कलाकार की सोंच का असर उसकी कृतियों पर दिखता है।प्रकृति के रूपाकारों,रंगों,आकारों को अमूर्त रूप में हेमराज देखते हैं।अपने चित्र संयोजन में मुक्त होकर समतल सतह पर विचरण करते हैं।दिल में उठ रहे भाव को कैनवास पर विभिन्न आकृतियों को उकेरते रहते हैं जब तक संतुष्टी न हो जाये।मन के भाव, विचार के अनुकूल आकारों को कैनवास पर अपनी इच्छानुसार उकेरने तक अभ्यास चलता रहता है।जब तक तस्बीरों में मन के भाव,सोंच के अनुसार परिणाम न मिल जाए तब तक मैं लगा रहता हूँ ऐसा हेमराज का मानना है।यह सही भी है।कलाकार जब साधना के चरम सुख प्राप्त करने की स्थिति में आता है तभी कृतियाँ प्रभावशाली सृजित होती हैं जो दर्शकों को आकर्षित करती हैं।हेमराज के एब्स्ट्रैक्ट चित्र प्रकृति की खुशबू को कैनवास की सतह पर समेट कर बहुआयाम  पैदा करती हैं।
      हेमराज के चित्रों के रंग और रेखायें महत्वपूर्ण हैं।दर्शको को चित्रों के केंद्र बिन्दू तक समेटना।एकाग्रता चित्रों को देखते समय बनी रहे।दिल,दिमाग,मन भटके नहीं यह ज़रूरी होता है।हेमराज के चित्रों को आप देखते रह जायेंगें।इनकी कृतियों के आगे खड़े होने को विवश करती है इनकी कृतियों के रंग और रेखायें।हेमराज अनेकों लेयर,परत दर परत रंग लगाते हैं।छाया,प्रकाश,डेफ्थ के नियंत्रण से तस्बीरों विभिन्न आयाम बनती हैं।रंगों के विभिन्न सतहों के नीचे से झांकती रेखायें,बनती आकृतियाँ आँखों को ठहरने,रुकने को कहती हैं।मजबूर करती हैं।आकृतियाँ सत्यम,शिवम,सुंदरम के दर्शन कराती हैं।शिव का भोलापन,दिब्यता सा भाव चित्रों में दिखता है।
हेमराज तैल रंगों में चित्र बनाते हैं। नीला,हरा,पीला,लाल,ऑरेंज रंगों के विविन्न टोन्स कैनवास की सतह पर फैलाते हैं।यह ओपेक कलर लगाते हैं।विभिन्न टूल्स के सहारे टेक्सचर बनाते हैं।
इनकी रेखायें काले,ब्राउन रंगों में होती हैं।रेखायें इनके चित्रों में अंदर,ऊपर,नीचे रंगों के सतह के अंदर से दिखती हैं।कहीं कहीं टूटती हैं।चित्रों में लय,गति प्रदान करती है।चित्रों में रेखायें मत्वपूर्ण में अपना प्रभाव रखती हैं।
      कलाकृतियों पर जब लिखने बैठता हूँ तो कृतियों को देखने में इतना समा जाता हूँ कि शब्द नहीं मिलते।कलाकार लेखन करे तो यही समस्या हैं।हेमराज की कलाकृतियां मुझे आकर्षित करती हैं।पसंद आती हैं।कलाकार जब दिल से कुछ रचता,गढ़ता हैं तो देखने वाले की अत्म से संवाद कर पाता है।हेमराज की कृतियाँ आपसे संवाद करेंगी।बातें करेंगी।ठहरने को मजबूर करेंगी।कलाकर की सफलता भी इसी में हैं।
कृतियों का आनंद प्राप्त करें।खुश रहें।

अनिल कुमार सिन्हा
चर्चित चित्रकार,कला समीक्षक।
नॉएडा।

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